उत्तर-प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (UPTET)
Exam Pattern:
The exam is based on National Curriculum Framework. The people who have the professional qualifications of Teacher Training such as D.El.Ed, B.Ed are eligible to take part in the test.
TET exam pattern is such that aspirants need to attempt 150 multiple choice questions in two and a half hours duration.
प्रथम प्रश्न-पत्र : प्राथमिक स्तर (कक्षा 1 से 5 के लिए)
# | विषय वस्तु | प्रश्नों की संख्या | अंक |
---|---|---|---|
1. | बाल विकास एवं शिक्षण विधि | 30 | 30 |
2. | भाषा प्रथम (हिन्दी) | 30 | 30 |
3. | भाषा द्वितीय (अंग्रेजी अथवा उर्दू अथवा संस्कृत में से कोई एक) | 30 | 30 |
4. | गणित | 30 | 30 |
5. | पर्यावरणीय अध्ययन | 30 | 30 |
कुल | 150 | 150 |
द्वितीय प्रश्न-पत्र : उच्च प्राथमिक स्तर (कक्षा 6 से 8 के लिए)
# | विषय वस्तु | प्रश्नों की संख्या | अंक |
---|---|---|---|
1. | बाल विकास एवं शिक्षण विधि (अनिवार्य) | 30 | 30 |
2. | भाषा प्रथम (हिन्दी) (अनिवार्य) | 30 | 30 |
3. | भाषा द्वितीय (अंग्रेजी अथवा उर्दू अथवा संस्कृत में से कोई एक) | 30 | 30 |
4. | (क) गणित एवं विज्ञान शिक्षक के लिए गणित/विज्ञान अथवा (ख) सामाजिक अध्ययन या सामाजिक विज्ञान शिक्षक के लिए सामाजिक अध्ययन |
60 | 60 |
कुल | 150 | 150 |
Exam Syllabus:
प्रथम प्रश्न-पत्र : प्राथमिक स्तर (कक्षा 1 से 5 के लिए)
# | प्रश्नों की संख्या | बाल विकास एवं शिक्षण विधियाँ | |
---|---|---|---|
1 | बाल विकास |
बाल विकास का अर्थ, आवश्यकता तथा क्षेत्र, बाल विकास की अवस्थाएं शारीरिक विकास, मानसिक विकास, संवेगात्मक विकास, भाषा विकास- अभिव्यक्ति क्षमता का विकास, सृजनात्मकता एवं सृजनात्मक क्षमता का विकास। बाल विकास के आधार एवं उनको प्रभावित करने वाले कारक-वंशानुक्रम, वातातरण। (पारिवारिक, सामाजिक, विद्यालयीय, संचार माध्यम)। सीखने का अर्थ तथा सिद्धांत: अधिगम (सीखने) का अर्थ प्रभावित करने वाले कारक, अधिगम की प्रभावशाली विधियाँ। अधिगम के नियम-थार्नडाइक के सीखने के मुख्य नियम एवं अधिगम में उनका महत्व। अधिगम के प्रमुख सिद्धान्त, पैवलव का सम्बद्ध प्रतिक्रिया का सिद्धान्त, स्किनर का क्रिया प्रसूत अधिगम सिद्धान्त, कोहलर का सूझ या अन्तदृष्टि का सिद्धान्त, प्याजे का सिद्धान्त, व्योगास्की का सिद्धान्त सीखने का वक्र- अर्थ एवं प्रकार, सीखने में पठार का अर्थ और कारण एवं निराकरण। शिक्षण एवं शिक्षण विधाएँ: शिक्षण का अर्थ तथा उद्देश्य, सम्प्रेषण, शिक्षण के सिद्धान्त, शिक्षण के सूत्र, शिक्षण प्रविधियाँ, शिक्षण की नवीन विधाएँ (उपागम), सूक्ष्म शिक्षण एवं शिक्षण के आधारभूत कौशल। समावेशी शिक्षा- निर्देशन एवं परामर्श: शैक्षिक समावेशन से अभिप्राय, पहचान, प्रकार, निराकरण यथाः अपवंचित वर्ग, भाषा, धर्म, जाति, क्षेत्र, वर्ण, लिंग, शारीरिक दक्षता (दृष्टिबाधित, श्रवणबाधित एवं वाक्/अस्थिबाधित), मानसिक दक्षता। समावेशन के लिए आवश्यक उपकरण, सामग्री, विधियाँ, टी0एल0एम0 एवं अभिवृत्तियाँ। समावेशित बच्चों का अधिगम जाँचने हेतु आवश्यक टूल्स एवं तकनीकी। समावेशित बच्चों के लिए विशेष शिक्षण विधियाँ। यथा- ब्रेललिपि आदि। समावेशी बच्चों हेतु निर्देशन एवं परामर्श- अर्थ, उद्देश्य, प्रकार, विधियाँ, आवश्यकता एवं क्षेत्र। परामर्श में सहयोग देने वाले विभाग/संस्थाएं: (i) मनोविज्ञानशाला उ0प्र0, इलाहाबाद (ii) मण्डलीय मनोविज्ञान केन्द्र (मण्डल स्तर पर) (iii) जिला चिकित्सालय (iv) जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षत डायट मेण्टर (v) पर्यवेक्षण एवं निरीक्षण तन्त्र (vi) समुदाय एवं विद्यालय की सहयोगी समितियाँ (vii) सरकारी एवं गैर सरकारी संगठन बाल-अधिगम में निर्देशन एवं परामर्श का महत्व। |
30 |
2 | अधिगम एवं अध्यापन |
बालक किस प्रकार सोचते और सीखते हैं, बालक विद्यालय प्रदर्शन में सफलता प्राप्त करने में कैसे और क्यों ‘असफल‘ होते हैं। अधिगम और अध्यापन की बुनियादी प्रक्रियाएं, बालकों की अधिगम कार्यनीतियां, सामाजिक क्रियाकलाप के रूप में अधिगम, अधिगम के सामाजिक संदर्भ। एक समस्या समाधानकर्ता और एक ‘वैज्ञानिक अन्वेषक‘ के रूप में बालक। बालकों में अधिगम की वैकल्पिक संकल्पना, अधिगम प्रक्रिया में महत्वपूर्ण चरणों के रूप में बालक की ‘त्रुटियों को समझना। बोध और संवेदनाएं। प्रेरणा और अधिगम। अधिगम में योगदान देने वाले कारक -निजी एवं पर्यावरणीय। |
भाषा प्रथम (हिन्दी) |
1 | विषय वस्तु |
अपठित अनुच्छेद। हिन्दी वर्णमाला (स्वर, व्यंजन)। वर्णों के मेल से मात्रिक तथा अमात्रिक शब्दों की पहचान। वाक्य रचना। हिन्दी की सभी ध्वनियों के पारस्परिक अंतर की जानकारी विशेष रूप से – ष, स, श, ब, व, ब्, ड, ङ, क्ष, छ, ण तथा न की ध्वनियाँ। हिन्दी भाषा की सभी ध्वनियों, वर्णें, अनुस्वार, अनुनासिक एवं चन्द्रबिन्दु में अन्तर। संयुक्तक्षर एवं अनुनासिक ध्वनियों के प्रयोग से बने शब्द। संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया एवं विशेषण के भेद। वचन, लिंग एवं काल। प्रत्यय, उपसर्ग, तत्सम, तद्भव व देशज, शब्दों की पहचान एवं उनमें अन्तर। लोकोक्तियों एवं मुहावरों के अर्थ। सन्धि- स्वर सन्धि- दीर्घ सन्धि, गुण सन्धि, वृद्धि सन्धि, यण् सन्धि, अयादि सन्धि। व्यंजन सन्धि, विसर्ग सन्धि। वाच्य, समास एवं अलंकार के भेद। कवियों एवं लेखकों की रचनाएँ। |
15 |
2 | भाषा विकास का अध्यापन |
अधिगम और अर्जन। भाषा अध्यापन के सिद्धांत सुनने और बोलने की भूमिका: भाषा का कार्य तथा बालक इसे किस प्रकार एक उपकरण के रूप में प्रयोग करते हैं। मौखिक और लिखित रूप में विचारों के संप्रेषण के लिए किसी भाषा के अधिगम में व्याकरण की भूमिका पर निर्णायक संदर्श एक भिन्न कक्षा में भाषा पढ़ाने की चुनौतियां, भाषा की कठिनाइयां, त्रुटियाँ और विकार भाषा-कौशल भाषा बोधगम्यता और प्रवीणता का मूल्यांकन करना: बोलना, सुनना, पढ़ना और लिखना। अध्यापन- अधिगम्य सामग्रियाँ: पाठ्य-पुस्तक, मल्टी मीडिया सामग्री, कक्षा का बहुभाषायी संसाधन उपचारात्मक अध्यापन। |
15 | भाषा द्वितीय |
1 | विषय वस्तु (ENGLISH) |
Unseen Passage The Sentence : Subject and Predicate, Kinds of Sentences Parts of Speech : Kinds of Noun, Pronoun, Adjective, Verb, Preposition, Conjuction Tenses-Present, Past, Future Articles Punctuation Word Formation Active & Passive Voice Singular & Plural Gender |
15 |
1 | विषय वस्तु (उर्दू) |
अपठित अनुच्छेद ज़बान की फन्नी महारतों की मालूमात। मशहूर अदीबों एवं शायरों की हालाते जिन्दगी एवं उनकी रचनाओं की जानकारी। मुखतलिफ उसनाफे अदब जैसे, मज़मून, अफसाना मर्सिया, मसनवी दास्तान वगैरह की तारीफ मअ, अमसाल। सही इमला एवं तलफ्फुज की मश्क्। इस्म, जम़ीर, सिफ़त, मुतजा़ाद, अल्फ़ाज, वाहिद, जमा, मोजक्कर, मोअन्नस वगैरह की जानकारी। सनअते, (तशबीह व इस्तआरा, तलमीह, मराअतुन्नजीर) वगैरह। मुहावरें, जर्बुल अमसाल की मालूमात। मखतलिफ समाजी मसायल जैसे माहौलियाती आलूदगी जिन्सी नाबराबरी, नाख्वान्दगी, तालीम बराएअम्न,अदमे, तग़जिया, वगैरह की मालूमात। नज़्मो, कहानियों, हिमायतों एवं संस्मरणों में मौजूद समाजी एवं एखलाकी अक्दार को समझना। |
15 |
1 | विषय वस्तु (संस्कृत) |
अपठित अनुच्छेद संज्ञाएं – (i) अकारान्त पुल्लिंग। (ii) अकारान्त स्त्रीलिंग। (iii) अकारान्त नपुंसकलिंग। (iv) ईकारान्त स्त्रीलिंग। (v) उकारान्त पुल्लिंग। (vi) ऋकारान्त पुल्लिंग। (vii) ऋकारान्त स्त्रीलिंग। घर, परिवार, परिवेश, पशु, पक्षियों, घरेलू, उपयोग की वस्तुओं के संस्कृत नामों से परिचय। सर्वनाम। क्रियाएँ। शरीर के प्रमुख अंगों के संस्कृत शब्दों का प्रयोग। अव्यय। सन्धि -सरल शब्दों की सन्धि तथा उनका विच्छेद् (दीर्घ सन्धि)। संख्याएँ – संस्कृत में संख्याओं का ज्ञान। लिंग, वचन, प्रत्याहार, स्वर के प्रकार, व्यंजन के प्रकार, अनुस्वार एवं अनुनासिक व्यंजन। स्वर व्यंजन एवं विसर्ग सन्धियाँ, समास, उपसर्ग, पर्यायवाची शब्द, विलोम शब्द, कारक, प्रत्यय एवं वाच्य। कवियों एवं लेखकों की रचनाएँ। |
15 |
2 | भाषा विकास का अध्यापन |
अधिगम और अर्जन। भाषा अध्यापन के सिद्धांत सुनने और बोलने की भूमिका: भाषा का कार्य तथा बालक इसे किस प्रकार एक उपकरण के रूप में प्रयोग करते हैं। मौखिक और लिखित रूप में विचारों के संप्रेषण के लिए किसी भाषा के अधिगम में व्याकरण की भूमिका पर निर्णायक संदर्श एक भिन्न कक्षा में भाषा पढ़ाने की चुनौतियां, भाषा की कठिनाइयां, त्रुटियाँ और विकार भाषा-कौशल भाषा बोधगम्यता और प्रवीणता का मूल्यांकन करना: बोलना, सुनना, पढ़ना और लिखना। अध्यापन- अधिगम्य सामग्रियाँ: पाठ्य-पुस्तक, मल्टी मीडिया सामग्री, कक्षा का बहुभाषायी संसाधन उपचारात्मक अध्यापन। |
15 | गणित |
1 | विषय-वस्तु | संख्याएँ एवं संख्याओं का जोड़, घटाना, गुणा, भाग। लघुत्तम समापवत्र्य एवं महत्तम समापवर्तक। भिन्नों का जोड़, घटाना, गुणा एवं भाग। एैकिक नियम। प्रतिशत। लाभ-हानि। साधारण ब्याज। ज्यामिति-ज्यामितीय आकृतियाँ एवं पृष्ठ, कोण, त्रिभुज, वृत्त। धन (रूपया-पैसा)। मापन – समय, तौल, धारिता, लम्बाई एवं ताप। परिमिति (परिमाप) – त्रिभुज, आयत, वर्ग चतुर्भुज। कैलेण्डर। आंकड़े। आयतन, धारिता-घन, घनाभ। क्षेत्रफल – आयत, वर्ग। रेलवे या बस समय सारिणी। आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण एवं निरूपण। |
15 |
2 | अध्यापन सम्बंधी मुद्दे |
गणितीय/तार्किक चिंतन की प्रकृति, बालक के चिंतन एवं तर्कशक्ति पैटर्नों तथा अर्थ निकालनें और अधिगम्य की कार्यनीतियों को समझना। पाठ्यचर्या में गणित का स्थान गणित की भाषा सामुदायिक गणित औपचारिक एवं अनौपचारिक पद्धतियों के माध्यम से मूल्यांकन शिक्षण की समस्याएं त्रुटि विश्लेषण तथा अधिगम्य एवं अध्यापन के प्रासंगिक पहलू नैदानिक एवं उपचरात्मक शिक्षण |
15 | पर्यावरणीय अध्ययन |
1 | विषय-वस्तु | परिवार। भोजन, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता। आवास। पेड़-पौधे एवं जन्तु। हमारा परिवेश। मेला। स्थानीय पेशे से जुड़े व्यक्ति एवं व्यवसाय। जल। यातायात एवं संचार। खेल एवं खेल भावना। भारत- नदियाँ, पर्वत, पठार, वन, यातायात, महाद्वीप एवं महासागर। हमारा प्रदेश-नदियाँ, पर्वत, पठार, वन, यातायात। संविधान। शासन व्यवस्था-स्थानीय स्वाशासन, ग्राम-पंचायत, नगर-पंचायत, जिला-पंचायत, नगर-पालिका, नगर-निगम, जिला-प्रशासन, प्रदेश की शासन व्यवस्था, व्यवस्थापिका, न्यायपालिका, कार्यपालिका, राष्ट्रीय पर्व, राष्ट्रीय-प्रतीक, मतदान, राष्ट्रीय एकता। |
15 |
2 | अध्ययन सम्बंधी मुद्दे |
पर्यावरणीय अध्ययन की अवधारणा और व्याप्ति। पर्यावरणीय अध्ययन का महत्व, एकीकृत पर्यावरणीय अध्ययन पर्यावरणीय अध्ययन एवं पर्यावरणीय शिक्षा अधिगम सिद्धांत विज्ञान और सामाजिक विज्ञान की व्याप्ति और सम्बंध अवधारणा प्रस्तुत करने के दृष्टिकोण क्रियाकलाप प्रयोग/व्यवहारिक कार्य चर्चा सतत व्यापक मूल्यांकन शिक्षा सामग्री/उपकरण समस्याएं। |
15 |
द्वितीय प्रश्न-पत्र : उच्च प्राथमिक स्तर (कक्षा 6 से 8 के लिए)
# | प्रश्नों की संख्या | बाल विकास एवं शिक्षण विधियाँ | |
---|---|---|---|
1 | बाल विकास |
बाल विकास का अर्थ, आवश्यकता तथा क्षेत्र, बाल विकास की अवस्थाएं शारीरिक विकास, मानसिक विकास, संवेगात्मक विकास, भाषा विकास- अभिव्यक्ति क्षमता का विकास, सृजनात्मकता एवं सृजनात्मक क्षमता का विकास। बाल विकास के आधार एवं उनको प्रभावित करने वाले कारक-वंशानुक्रम, वातातरण। (पारिवारिक, सामाजिक, विद्यालयीय, संचार माध्यम)। सीखने का अर्थ तथा सिद्धांत: अधिगम (सीखने) का अर्थ प्रभावित करने वाले कारक, अधिगम की प्रभावशाली विधियाँ। अधिगम के नियम-थार्नडाइक के सीखने के मुख्य नियम एवं अधिगम में उनका महत्व। अधिगम के प्रमुख सिद्धान्त, पैवलव का सम्बद्ध प्रतिक्रिया का सिद्धान्त, स्किनर का क्रिया प्रसूत अधिगम सिद्धान्त, कोहलर का सूझ या अन्तदृष्टि का सिद्धान्त, प्याजे का सिद्धान्त, व्योगास्की का सिद्धान्त सीखने का वक्र- अर्थ एवं प्रकार, सीखने में पठार का अर्थ और कारण एवं निराकरण। शिक्षण एवं शिक्षण विधाएँ: शिक्षण का अर्थ तथा उद्देश्य, सम्प्रेषण, शिक्षण के सिद्धान्त, शिक्षण के सूत्र, शिक्षण प्रविधियाँ, शिक्षण की नवीन विधाएँ (उपागम), सूक्ष्म शिक्षण एवं शिक्षण के आधारभूत कौशल। समावेशी शिक्षा- निर्देशन एवं परामर्श: शैक्षिक समावेशन से अभिप्राय, पहचान, प्रकार, निराकरण यथाः अपवंचित वर्ग, भाषा, धर्म, जाति, क्षेत्र, वर्ण, लिंग, शारीरिक दक्षता (दृष्टिबाधित, श्रवणबाधित एवं वाक्/अस्थिबाधित), मानसिक दक्षता। समावेशन के लिए आवश्यक उपकरण, सामग्री, विधियाँ, टी0एल0एम0 एवं अभिवृत्तियाँ। समावेशित बच्चों का अधिगम जाँचने हेतु आवश्यक टूल्स एवं तकनीकी। समावेशित बच्चों के लिए विशेष शिक्षण विधियाँ। यथा- ब्रेललिपि आदि। समावेशी बच्चों हेतु निर्देशन एवं परामर्श- अर्थ, उद्देश्य, प्रकार, विधियाँ, आवश्यकता एवं क्षेत्र। परामर्श में सहयोग देने वाले विभाग/संस्थाएं: (i) मनोविज्ञानशाला उ0प्र0, इलाहाबाद (ii) मण्डलीय मनोविज्ञान केन्द्र (मण्डल स्तर पर) (iii) जिला चिकित्सालय (iv) जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षत डायट मेण्टर (v) पर्यवेक्षण एवं निरीक्षण तन्त्र (vi) समुदाय एवं विद्यालय की सहयोगी समितियाँ (vii) सरकारी एवं गैर सरकारी संगठन बाल-अधिगम में निर्देशन एवं परामर्श का महत्व। |
30 |
2 | अधिगम एवं अध्यापन |
बालक किस प्रकार सोचते और सीखते हैं, बालक विद्यालय प्रदर्शन में सफलता प्राप्त करने में कैसे और क्यों ‘असफल‘ होते हैं। अधिगम और अध्यापन की बुनियादी प्रक्रियाएं, बालकों की अधिगम कार्यनीतियां, सामाजिक क्रियाकलाप के रूप में अधिगम, अधिगम के सामाजिक संदर्भ। एक समस्या समाधानकर्ता और एक ‘वैज्ञानिक अन्वेषक‘ के रूप में बालक। बालकों में अधिगम की वैकल्पिक संकल्पना, अधिगम प्रक्रिया में महत्वपूर्ण चरणों के रूप में बालक की ‘त्रुटियों को समझना। बोध और संवेदनाएं। प्रेरणा और अधिगम। अधिगम में योगदान देने वाले कारक -निजी एवं पर्यावरणीय। |
भाषा प्रथम (हिन्दी) |
1 | विषय वस्तु |
अपठित अनुच्छेद। संज्ञा एवं संज्ञा के भेद। सर्वनाम एवं सर्वनाम के भेद। विशेषण एवं विशेषण के भेद। क्रिया एवं क्रिया के भेद। वाच्य-कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य, भाववाच्य। हिन्दी भाषा की समस्त ध्वनियों, संयुक्ताक्षरों, संयुक्त व्यंजनों एवं अनुस्वार एवं चंद्रबिन्दु में अन्तर। वर्णक्रम, पर्यायवाची, विपरीतार्थक, अनेकार्थक, समानार्थी शब्द। अव्यय के भेद। अनुस्वार, अनुनासिक का प्रयोग। ‘र‘ के विभिन्न रूपों का प्रयोग। वाक्य निर्माण (सरल, संयुक्त एवं मिश्रित वाक्य)। विराम चिह्नों की पहचान एवं उपयोग। वचन, लिंग एवं काल का प्रयोग। तत्सम, तद्भव, देशज एवं विदेशी शब्द। उपसर्ग एवं प्रत्यय। शब्द युग्म। समास, समास विग्रह एवं समास के भेद। मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ। क्रिया सकर्मक एवं अकर्मक। सन्धि एवं सन्धि के भेद। (स्वर, व्यंजन एवं विसर्ग सन्धियाँ। अलंकार। (अनुप्रास, यमक, श्लेष, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा अतिशयोक्ति)। |
15 |
2 | भाषा विकास का अध्यापन |
अधिगम और अर्जन। भाषा अध्यापन के सिद्धांत सुनने और बोलने की भूमिका: भाषा का कार्य तथा बालक इसे किस प्रकार एक उपकरण के रूप में प्रयोग करते हैं। मौखिक और लिखित रूप में विचारों के संप्रेषण के लिए किसी भाषा के अधिगम में व्याकरण की भूमिका पर निर्णायक संदर्श एक भिन्न कक्षा में भाषा पढ़ाने की चुनौतियां, भाषा की कठिनाइयां, त्रुटियाँ और विकार भाषा-कौशल भाषा बोधगम्यता और प्रवीणता का मूल्यांकन करना: बोलना, सुनना, पढ़ना और लिखना। अध्यापन- अधिगम्य सामग्रियाँ: पाठ्य-पुस्तक, मल्टी मीडिया सामग्री, कक्षा का बहुभाषायी संसाधन उपचारात्मक अध्यापन। |
15 | भाषा द्वितीय |
1 | विषय वस्तु (English) |
Unseen Passage Nouns and its Kinds Pronoun and its Kinds Verb and its Kinds Adjective and its Kinds & Degrees Adverb and its Kinds Preposition and its Kinds Conjunction and its Kinds Intersection Singular and Plural Subject and Predicate Negative and interrogative sentences Masculine and Feminine Gender Punctuations Suffix with Root words Phrasal Verbs Use of Somebody, Nobody, Anybody Part of speech Narration Active voice and Passive voice Antonyms & Synonyms Use of Homophones Use of request in sentences Silent Letters in words |
15 |
1 | विषय वस्तु (उर्दू) |
अपठित अनुच्छेद ज़बान की फन्नी महारतों की जानकारी। मुखतलिफ असनाफे अदब हम्द, ग़जल, कसीदा, मर्सिया, मसनवी, गीत वगैरह की समझ एवं उनके फर्क को समझना। मुखतलिफ शायरों, अदीबों की हालाते जिन्दगी से वाकफियत एवं उनकी तसानीफ की जानकारी हासिल करना। मुल्क की मुश्तरका तहज़ीब में उर्दू जबा़न की खिदमत और अहमियत से वाकफियत हासिल करना। इस्म व उसके अक्साम, फेल, सिफत, ज़मीर, तज़कीरओं तानीस, तज़ाद की समझ। सही इमला एवं एराब की जानकारी होना। मुहावरें एवं जर्बुल अमसाल से वाक्फियत हासिल करना। सनअतों की जानकारी होना। सियासी, समाजी एवं एख्लाकी मसाइल के तई बेदार होना और उस पर अपना नज़रिया वाजे़ रखना। |
15 |
1 | विषय वस्तु (संस्कृत) |
अपठित अनुच्छेद सन्धि – स्वर, व्यंजन। अव्यय। समास। लिंग, वचन एवं काल का प्रयोग। उपसर्ग पर्यायवाची शब्द विलोम शब्द कारक अलंकार प्रत्यय वाच्य संज्ञाएं – निम्नवत सभी शब्दों की सभी विभक्ति एवं वचनों के रूपों का ज्ञान- (i) पुल्लिंग शब्द (ii)स्त्रीलिंग शब्द (iii) नपुंसकलिंग शब्द (iv) अकारान्त पुल्लिंग (v) अकारान्त स्त्रीलिंग। (vi) अकारान्त नपुंसकलिंग। (vii) उकारान्त पुल्लिंग। (viii) उकारान्त स्त्रीलिंग। (ix) उकारान्त नपुंसकलिंग। (x) ईकारान्त पुल्लिंग। (xi) ईकारान्त स्त्रीलिंग। (xii) ईकारान्त नपुंसकलिंग। (xiii) ऋकारान्त पुल्लिंग। सर्वनाम। विशेषण। धातु। संख्याएँ। |
15 |
2 | भाषा विकास का अध्यापन |
अधिगम और अर्जन। भाषा अध्यापन के सिद्धांत सुनने और बोलने की भूमिका: भाषा का कार्य तथा बालक इसे किस प्रकार एक उपकरण के रूप में प्रयोग करते हैं। मौखिक और लिखित रूप में विचारों के संप्रेषण के लिए किसी भाषा के अधिगम में व्याकरण की भूमिका पर निर्णायक संदर्श एक भिन्न कक्षा में भाषा पढ़ाने की चुनौतियां, भाषा की कठिनाइयां, त्रुटियाँ और विकार भाषा-कौशल भाषा बोधगम्यता और प्रवीणता का मूल्यांकन करना: बोलना, सुनना, पढ़ना और लिखना। अध्यापन- अधिगम्य सामग्रियाँ: पाठ्य-पुस्तक, मल्टी मीडिया सामग्री, कक्षा का बहुभाषायी संसाधन उपचारात्मक अध्यापन। |
15 | गणित |
1 | विषय-वस्तु | प्राकृतिक संख्याएँ, पूर्ण संख्याएँ, परिमेय संख्याएँ। पूर्णांक, कोष्ठक लघुत्तम समापवत्र्य एवं महत्तम समापवर्तक। वर्गमूल। घनमूल। सर्वसमिकाएँ। बीजगणित, अवधारणा-चर संख्याएँ, अचर संख्याएँ, चर संख्याओं की घात। बीजीय व्यंजकों का जोड़, घटााना, गुणा एवं भाग, बीजीय व्यंजकों के पद एवं पदों के गुणांक, सजातीय एवं विजातीय पद, व्यंजकों की डिग्री, एक, दो एवं त्रिपदीय व्यंजकों की अवधारणा। युगपत समीकरण, वर्ग समीकरण, रेखीय समीकरण। समान्तर रेखाएँ, चतुर्भुज की रचनाएँ, त्रिभुज। वृत्त और चक्रीय चतुर्भुज। वृत्त की स्पर्श रेखाएँ। वाणिज्य गणित-अनुपात, समानुपात, प्रतिशतता, लाभ-हानि, साधारण ब्याज, चक्रवृद्धि ब्याज, कर (टैक्स), वस्तु विनिमय प्रणाली। बैंकिंग-वर्तमान मुद्रा, बिल तथा कैशमेमो। सांख्यिकी- आंकड़ों का वर्गीकरण, पिक्टोग्राफ, माध्य, माध्यिका एवं बहुलक, बारम्बारता। पाई एवं दण्ड चार्ट, अवर्गीकृत आँकड़ों का चित्र। सम्भावना (प्रायिकता) ग्राफ, दण्ड, आरेख तथा मिश्रित दण्ड आरेख। कार्तीय तल। क्षेत्रमिति (मेन्सुरेशन)। घातांक। |
20 |
2 | अध्यापन सम्बंधी मुद्दे |
गणितीय/तार्किक चिंतन की प्रकृति। पाठ्यचर्या में गणित का स्थान गणित की भाषा सामुदायिक गणित मूल्यांकन। उपचारात्मक शिक्षण। शिक्षण की समस्याएं। |
10 | विज्ञान |
1 | विषय-वस्तु | दैनिक जीवन में विज्ञान, महत्वपूर्ण खोज, महत्व, मानव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी। रेशे एवं वस्त्र, रेशों से वस्त्रों तक (प्रक्रिया) सजीव, निर्जीव पदार्थ- जीव जगत, सजीवों का वर्गीकरण, जन्तु एवं वनस्पति के आधार पर पौधों का वर्गीकरण एवं जन्तुओं का वर्गीकरण, जीवों में अनुकूलन, जन्तुओं एवं पौधों में परिवर्तन। जन्तु की संरचना व कार्य। सूक्ष्म जीव एवं उनका वर्गीकरण। कोशिका से अंगतन्त्र तक। किशोरावस्था, विकलांगता। भोजन, स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं रोग, फसल उत्पादन, नाइट्रोजन चक्र। जन्तुओं में पोषण। पौधों में पोषण, जनन, लाभदायक पौधे। जीवों में श्वसन, उत्सर्जन, लाभदयक जन्तु। मापन। विद्युत धारा। चुम्बकत्व। गति, बल एवं यंत्र। ऊर्जा। कम्प्यूटर। ध्वनि। स्थिर विद्युत। प्रकाश एवं प्रकाश यंत्र। वायु-गुण, संघटन, आवश्यकता, उपयोगिता, ओजोन परत, हरित गृह प्रभाव। जल-आवश्यकता, उपयोगिता, स्रोत, गुण, प्रदूषण, जल-संरक्षण। पदार्थ, पदार्थों के समूह, पदार्थों का पृथक्करण, पदार्थ की संरचना एवं प्रकृति। पास-पड़ोस में होने वाले परिवर्तन, भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन। अम्ल, क्षार और लवण। ऊष्मा एवं ताप। मानव निर्मित वस्तुएँ, प्लास्टिक, काँच, साबुन, मृतिका। खनिज एवं धातु। कार्बन एवं उसके यौगिक। ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत। |
20 |
2 | अध्यापन संबंधी मुद्दे |
विज्ञान की प्रकृति और संरचना। प्राकृतिक विज्ञान / लक्ष्य और उद्देश्य। विज्ञान को समझना और उसकी सराहना करना। दृष्टिकोण / एकीकृत दृष्टिकोण। प्रेक्षण / प्रयोग / अन्वेषण (विज्ञान की पद्धति)। अभिनवता। पाठ्यचर्या सामग्री / सहायता-सामग्री। मूल्यांकन। समस्याएं उपचारात्मक शिक्षण। |
10 | सामाजिक अध्ययन व अन्य |
1 | विषय-वस्तु |
1) इतिहास इतिहास जानने के स्रोत। पाषाणकालीन संस्कृति, ताम्र पाषाणिक संस्कृति, वैदिक संस्कृति। छठी शताब्दी ई0पू0 का भारत। भारत के प्रारम्भिक राज्य। भारत में मौर्य साम्राज्य की स्थापना। मौर्येत्तरकालीन भारत, गुप्त काल, राजपूतकालीर भारत, पुष्यभूति वंश, दक्षिण भारत के राज्य। इस्लाम का भारत में आगमन। दिल्ली सल्तनत की स्थापना, विस्तार, विघटन। मुगल साम्राज्य, संस्कृति, पतन। यूरोपीय शक्तियों का भारत में आगमन एवं अंग्रेजी राज्य की स्थापना। भारत में नवजागरण, भारत में राष्ट्रवाद का उदय। स्वाधीनता आन्दोलन, स्वतंत्रता प्राप्ति, भारत विभाजन। स्वतंत्र भारत की चुनौतियां। 2) नागरिक शास्त्र हम और हमारा समाज। ग्रामीण एवं नगरीय समाज व रहन सहन। ग्रामीण व नगरीय स्वशासन। जिला प्रशासन। हमारा संविधान। यातायात सुरक्षा। केन्द्रीय व राज्य शासन व्यवस्था। भारत में लोकतन्त्र। देश की सुरक्षा एवं विदेश नीति। वैश्विक समुदाय एवं भारत। नागरिक सुरक्षा। दिव्यांगता। 3) भूगोल सौरमण्डल में पृथ्वी, ग्लोब – पृथ्वी पर स्थानों का निर्धारण, पृथ्वी की गतियाँ। मानचित्रण, पृथ्वी के चार परिमण्डल, स्थल मण्डल- पृथ्वी की संरचना, पृथ्वी के प्रमुख स्थलरूप। विश्व में भारत, भारत का भौतिक स्वरूप, मृदा, वनस्पति एवं वन्य जीव, भारत की जलवायु, भारत के आर्थिक संसाधन, यातायात, व्यापार एवं संचार। उत्तर-प्रदेश – भारत में स्थान, राजनीतिक विभाग, जलवायु, मृदा, वनस्पति एवं वन्यजीव कृषि, खनिज उद्योग-धन्धे जनसंख्या एवं नगरीकरण। धरातल के रूप, बदलने वाले कारक (आन्तरिक एवं वाह्यय कारक)। वायुमण्डल, जलमण्डल। संसार के प्रमुख प्राकृतिक प्रदेश एवं जनजीवन। खनिज संसाधन, उद्योग-धन्धे। आपदा एवं आपदा प्रबन्धन। 4)) पर्यावरणीय अध्ययन पर्यावरण, प्राकृतिक संसाधन एवं उनकी उपयोगिता। प्राकृतिक संतुलन। संसाधनों का उपयोग। जनसंख्या वृद्धि का पर्यावरण पर प्रभाव, पर्यावरण-प्रदूषण। अपशिष्ट प्रबन्धन, आपदाएँ, पर्यावरणविद्, पर्यावरण के क्षेत्र में पुरस्कार, पर्यावरण दिवस, पर्यावरण कैलेण्डर। 5) गृहशिल्प / गृहविज्ञान स्वास्थ्य एवं स्वछता। पोषण, रोग एवं उनसे बचने के उपाय, प्राथमिक उपचार। खाद्य पदार्थों का संरक्षण। प्रदूषण। पाचन सम्बन्धी रोग एवं सामान्य बीमारियाँ। गृह प्रबंधन, सिलाई कला, धुलाई कला, पाक कला, बुनाई कला, कढ़ाई कला। 6) शारीरिक शिक्षा एवं खेल शारीरिक शिक्षा, व्यायाम, योग एवं प्राणायाम। मार्चिंग, राष्ट्रीय खेल एवं पुरस्कार। छोटे एवं मनोरंजनात्मक खेल, अन्तर्राष्ट्रीय खेल। खेल और हमारा भोजन। प्राथमिक चिकित्सा। नशीले पदार्थों के दुष्परिणाम एवं उनसे बचाव का उपाय, खेलकूद, खेल प्रबंधन एवं नियोजन का महत्व। 7) संगीत स्वर ज्ञान। राग परिचय। संगीत में लय एवं ताल का ज्ञान। तीव्र मध्यम वाले राग। वन्दना गीत / झण्डा गान। देशगान, देशगीत, भजन। क्रियात्मक गीत। 8) उद्यान विज्ञान एवं फलसंरक्षण मिट्टी, मृदा गठन, भू-परिष्करण, यंत्र, बीज, खाद उर्वरक। सिंचाई, सिंचाई के यंत्र। बाग लगाना, विद्यालय वाटिका। झाड़ी एवं लताएँ, शोभा वाले पौधे, मौसमी फुल की खेती, फलों की खेती, शाख वाटिका, सब्जियों की खेती। प्रवर्धन, कायिक प्रवर्धन। फल परीक्षण, फल संरक्षण – जैम, जेली, साॅस, अचार बनाना। वनसंरक्षण / वृक्षारोपण। जलवायु विज्ञान। फसल चक्र। |
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2 | अध्यापन सम्बंधी मुद्दे |
सामाजिक अध्ययन की अवधारणा और पद्धति: कक्षा की प्रक्रियाएं, क्रियाकलाप और व्याख्यान। विवेचित चिंतन का विकास करना। पूछताछ / अनुभवजन्य साक्ष्य। सामाजिक विज्ञान / सामाजिक अध्ययन पढ़ाने की समस्याएं। प्रोजेक्ट कार्य। मूल्यांकन। |
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